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प्राचीन काल में राजा कारोबारियों को टैक्स के एवज

 

प्राचीन काल में राजा कारोबारियों को टैक्स के एवज में सुरक्षा देता था और कारोबारी मुक्त भाव से व्यापार करते थे। आज परिस्थितियां बदल गई हैं। कारोबारी टैक्स तो देता है पर सरकारें सुरक्षा देने में असमर्थ हैं। आए दिन अखबारों में खबर आती है कि कारोबारी को लूट लिया गया या अवैध मांग पूरी नहीं करने पर मार डाला गया। कारोबारी अथवा उसके किसी करीबी का फिरौती के लिए अपहरण जैसे मामले तो होते रहते हैं। मंत्री-नेता तो भारी भरकम सिक्यूरिटी लेकर चलते हैं। इसका खर्च व्यापारियों से वसूले गए टैक्स से ही चुकाया जाता है। दूसरी तरफ व्यापारी की कोई सुरक्षा नही होती। अभी हाल ही में दिल्ली में झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोगों ने दांतों के एक डॉक्टर को पीट-पीट कर मार डाला। सभी राजनीतिक दल चुप्पी साधे रहे क्योंकि झुग्गी झोपड़ी वाले (जो एक भी पैसा टैक्स नहीं देते बल्कि सरकारी सबसिडी खाते हैं) सभी दलों के वोट बैंक हैं।

व्यापारियों को भी चाहिए कि अपनी समस्त शक्तियों और सामर्थ्य को एकत्रित करके राजनीति में अपना स्थान बनाएं ताकि कोई भी राजनीतिक दल व्यापारियों की अनदेखी न कर पाएं।

 

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